हनुमान चालीसा के पाठ की गणना 231000 हुई पार.
हनुमान चालीसा जीवन को भव सागर से पार करने की अचूक संजीवनी : बोधराज सीकरी
गुरुग्राम। कल मंगलवार 11 तारीख को श्री सनातन धर्म मंदिर सेक्टर 56, गुरुग्राम में हनुमान चालीसा पाठ का आयोजन किया गया। इससे पूर्व भी नए गुड़गांव में ही डीएलएफ फेज 1 और सुशांत लोक में इस प्रकार का आयोजन हो चुका है। 15 दिन बाद सेक्टर 15, गुरुग्राम जो नए गुड़गांव का हिस्सा है, में इसका आयोजन किया जाएगा।
बोधराज सीकरी के अनुसार हनुमान चालीसा एक ऐसा विलक्षण ग्रंथ है जिसमें प्रारंभ में और अंत में “गुरु” शब्द आता है। क्योंकि संत तुलसीदास को हनुमान जी के माध्यम से मर्यादा पुरुषोत्तम राम के दर्शन करने थे। इसलिए उन्हें “गुरु” बनाना पड़ा। अतः हनुमान जी को प्रारंभ में गुरु बनाया और अपने आप को “बुद्धिहीन” बनाया। जिसके फलस्वरूप उन्होंने हनुमान जी से बल, बुद्धि, विद्या मांगकर अपने सब क्लेश और विकार भी खत्म करवा दिए। अंत मे “गुरु” शब्द क्यों आया क्योंकि उनके अपने गुरु नरसिंहदास जी थे उन्हें भी प्रसन्न करना उन्हें आता था। बोध राज सीकरी के कथन अनुसार दत्तात्रेय ऋषि के तो 24 गुरु थे।
बोधराज सीकरी के अनुसार हनुमान चालीसा संत तुलसी दास ने क्यों लिखा, क्योंकि राम की प्राप्ति उनके माध्यम से होती है। इसलिए हनुमान चालीसा में हनुमान जी की स्तुति है, उनकी तारीफ है, उनके गुणों का व्याख्यान है, परन्तु हनुमान चालीसा लिखते समय प्रारभ में ही “राम” जी कैसे आ गए।
“बरनऊं रघुवर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।”
क्योंकि तुलसीदास जी हनुमान जी के स्वभाव को भलीभाँति जानते थे। जहां राम जी नहीं होते वहां हनुमान जी नहीं होते। अतः हनुमान जी के दर्शन करने के लिए संत तुलसी दास जी ने मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम का हनुमान चालीसा की पहली कुछ पंक्तियों का ज़िक्र किया।
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया।।
इसी प्रकार बोधराज सीकरी ने अपने वक्तव्य में बताया कि सुमति कुमति सबके उर माहि।
ऐसे ही ज्ञान और वैराग्य भी सबके मन में है। अज्ञान रूपी आंख को अंजन यानी सुरमें की जरूरत है। तभी ज्ञान उजागर होता है। और सुरमे को अंजन भी कहते हैं। अंजन कौन देगा वह अंजनी पुत्र पवनसुत देंगे।
बोधराज सीकरी ने अपने वक्तव्य में उपस्थित युवा पीढ़ी को अपने संस्कार, अपनी सभ्यता, अपने त्योहार व अपने ग्रन्थों से दूर न रहने की सलाह दी और मंदिर के पवित्र प्रांगण में लगभग सवा दो सौ लोग उपस्थित थे। लेकिन मंगलवार होने के कारण कई लोग देर से आए। अतः 175 लोगों ने 22 बार श्री हनुमान चालीसा के पाठ का पठन किया। उसके अतिरिक्त जामपुर शिव मंदिर, ईस्ट ऑफ कैलाश में 40 लोगों ने 5-5 बार पाठ किया और फ्लायर पार्क सुशान्त लोक फेज 1 में प्रातः सैर करने वाले ग्रुप के 20 लोगों ने 5-5 बार पाठ किया। कल के पाठ की कुल संख्या 4150 थी। पिछले मंगलवार तक 228815 पाठ हो चुके थे और कल के पाठ की संख्या को सम्मिलित करने के बाद यह संख्या 232965 पार कर गई।
बोधराज सीकरी ने उपस्थित सभी मातृ शक्ति और बंधु से प्रार्थना की कि जब मंदिर में आएं तो अपनी पोशाक व वेशभूषा का विशेष ध्यान दें। कई आज के युवा ये नहीं देखते कि हम किस मर्यादित स्थान पर जा रहे हैं। अतः हमें मंदिर जाते समय वहां की मर्यादा और वहां की परिस्थितियों के अनुसार पोशाक व अपनी वेशभूषा डालनी चाहिए।
इस कार्यक्रम में ना केवल नए गुड़गांव के लोग जुड़े बल्कि 30 से 35 लोग तो पुराने गुड़गांव से भी उपस्थित थे। बोधराज सीकरी ने अपने वक्तव्य में उन सभी का आभार प्रकट किया। आने वाले मंगलवार 18 जुलाई को न्यू आदर्श रामलीला क्लब अर्जुन नगर गुरुग्राम, जिसके प्रधान श्री गंगाधर खत्री और महा मंत्री श्री यशपाल ग्रोवर है, उनकी ओर से आयोजन किया जाएगा।
मंगलवार के आयोजन में मंदिर के प्रधान आर.एस खत्री , सुरेश कपासिया उप प्रधान, डॉ एस.के त्रिपाठी महामंत्री यजमान बने और पूजा अर्चना कर पाठ का शुभारंभ किया।
श्री एस. के खुल्लर प्रधान श्री केंद्रीय सनातन धर्म सभा, गुरुग्राम, श्री गजेंद्र गोसाईं जिन्होंने व्यास गद्दी से हनुमान चालीसा का संगीतमय तरीक़े से सुमधुर पाठ किया, श्री धर्मेंद्र बजाज, महामंत्री केंद्रीय आर्य प्रतिनिधि सभा, श्री रमेश कामरा, श्री किशोरी डुडेजा, श्री द्वारका नाथ मक्कड़, श्री ओमप्रकाश गाबा, श्री सतपाल नासा, श्री रमेश मुंजाल, श्री के.के अरोड़ा एडवोकेट, रुपक चौधरी, श्री सरदाना जी ब्रांड एंबेसडर सीनियर सिटीजन केसरी क्लब, श्री एम.डी कालरा, श्री सुरेंद्र गुलाटी एडवोकेट उपस्थित रहे।
सुशांत लोक से सर्वश्री राजीव छाबड़ा, सतीश चावला, रमेश नरूला, अजय भार्गव, और संजय बिष्ट हाज़िर हुए।
महिला टीम से श्रीमती ज्योत्सना बजाज, श्रीमती ज्योति वर्मा, श्रीमती रचना बजाज, श्रीमती पुष्पा नासा, श्रीमती बिमला अरोड़ा, और श्रीमती मुंजाल व अन्य जन उपस्थित रहे।