मर्यादा पुरुषोत्तम राम के आदर्श जीवन का अंगीकार कर जीवन को बनाएं सार्थक : बोधराज सीकरी
गुरुग्राम। कल दिनांक 20 अक्टूबर 2023 को बोधराज सीकरी ने सोहना राम लीला, प्रेम मंदिर गुरुग्राम की राम लीला और शिवपुरी में आयोजित राम लीला में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की।
इस अवसर पर बोधराज सीकरी के साथ ओम प्रकाश कथूरिया चेयरमैन ओम स्वीट्स, धर्मेंद्र बजाज, गजेंद्र गोसाई, राम किशन गांधी और रमेश कामरा का आयोजकों ने भव्य स्वागत व अभिनंदन किया। साथ ही बोधराज सीकरी से संबोधन करने का आग्रह किया।
इस दौरान बोधराज सीकरी ने अपने वक्तव्य में कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम राम के आदर्श जीवन का अंगीकार कर जीवन को सार्थक बनाया जा सकता है। चरित्र निर्माण करना, संस्कारवान होना, देश के प्रति, समाज के प्रति कर्तव्यपरायणता का भाव होना यह सब गुण भगवान राम जी के आदर्श रूपी जीवन से युवा पीढ़ी को सीखने की जरूरत है।
बोधराज सीकरी ने अपने वक्तव्य में सिद्ध किया कि विश्व के सबसे बड़े पर्यावरणविद मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम जी थे। जिन्होंने अपनी युवा अवस्था के 14 वर्ष वनों को दिये ताकि वहां का पर्यावरण का संतुलन बना रहे। उन्होंने अपने जितने भी युद्ध हुए चाहे हो खर दूषण का युद्ध हो, चाहे रावण का युद्ध हो, चक्रवर्ती सम्राट होने के बावजूद किसी राजा को नहीं बुलाया बल्कि वानरों को और रीछ जाति को इस प्रकार के लोगों को एकत्र कर एक सद्भावना का माहौल पैदा किया था और वहां पर बोधराज सीकरी ने युवा को विशेषकर पर्यावरण के प्रति जागरूक रहने के लिए और प्रकृति मां के प्रति सोचने के लिए काफी बल दिया।
साथ ही युवा पीढ़ी को बताया कि हमारे जीवन का आधार है प्राण ऊर्जा। प्राण ऊर्जा का आधार है पेड़ और पौधे। पेड़ और पौधों का आधार है प्रकृति। प्रकृति का आधार है ईश्वर और ईश्वर का आधार है परब्रह्म। अतः इन सबमें संतुलन रखने के लिए हर युवा, हर बड़े का कर्तव्य है कि पर्यावरण के प्रति और धरती माता के प्रति सोचें।
बोधराज सीकरी ने अपने संबोधन में युवा पीढ़ी को बताया कि राम दो हैं। एक मर्यादा पुरूषोत्तम राम, एक राम जो सब में रमा है। ईश्वर के प्रति, अध्यात्म के प्रति हमारा क्या कर्तव्य है, राष्ट्र के प्रति हमारा क्या कर्तव्य है, इस पर भी उन्होंने विस्तारपूर्वक चर्चा की।
बोधराज सीकरी ने युवाओं को कहा कि राम ने एक आदर्श पिता, एक आदर्श पुत्र, एक आदर्श भाई, एक आदर्श राजा का रूप दिखाया और पूरे विश्व को एकता का, समरसता का संदेश दिया। अतः आप सबका फर्ज बनता है अपने कर्तव्य के प्रति जागरूक रहें और समाज में एक ऐसा नया भारत उत्पन्न करें जिससे विश्व गुरु बनने में हमें सहायता मिले।
बोधराज सीकरी के सम्बोधन को सुनाकर लोगों का मन गद्गद हो गया और तालियों की गड़गड़ाहट से पूरा प्रांगण गूंज उठा।
इस प्रकार बोधराज सीकरी ने राम लीला का अवलोकन करने के साथ-साथ युवा पीढ़ी को संस्कारवान बनाने का गिलहरी प्रयास किया।