अजन्मा का जन्मदिन मंगलमय हो : बोधराज सीकरी ।
गीता युवाओं को संस्कारवान बनाने का सशक्त माध्यम : बोधराज सीकरी ।
गुरुग्राम। समाजसेवी बोधराज सीकरी को पाँच मंदिरों से जन्माष्टमी आयोजन का निमंत्रण मिला। आर्य समाज मंदिर सेक्टर 7ए एक्सटेंशन से इस कार्य का शुभारम्भ हुआ जिसके प्रधान श्री धर्मेंद्र बजाज, मंत्री विकास जी, संरक्षक गुगलानी जी, वरिष्ठ उप प्रधान रमेश कामरा है और जहाँ श्री कन्हैया लाल आर्य, श्री अशोक आर्य, श्री लक्ष्मण पाहूजा, श्री रमेश मुंजाल, श्रीमती ज्योत्सना बजाज और सुषमा आर्य जी उपस्थित रहे और मुख्य वक्ता वेदों के ज्ञाता पंडित उमेश कुलश्रेष्ठ और विदुषी अंजलि आर्य ने गायकी से समा बांधा और कुरीतियों पर वार किया।
बोधराज सीकरी ने आग्रह किया कि युवाओं को जोड़ने के लिए संतों द्वारा दिये गए प्रवचनों को छोटी-छोटी पुस्तक के रूप में वितरित किया जाये क्योंकि आज का युवा अधीर है और उसे संस्कृत की बजाए आसान भाषा का इतिहास और ग्रंथ चाहिए।
छ: सितंबर को श्री श्याम जी मंदिर न्यू कॉलोनी में बोध राज सीकरी की उपस्थिति उस मंदिर के प्रधान के नाते रही जहाँ संगीतमय वातावरण में बोध राज सीकरी ने साधकों को ठुमक पर खूब नृत्य करवाया और कृष्ण तत्व की व्याख्या भी की। प्रांगण श्रद्धालुओं से खचाखच भरा हुआ था। उन्होंने युवा को संस्कारवान बनाने के लिए कई मंत्र भी दिये। श्री अश्वनी वर्मा, श्री रणधीर टण्डन, श्री सुभाष ग्रोवर, श्री गजेंद्र गोसाई, श्री राजेश शर्मा, श्री तिलक चानना, श्री जगदीश रखेजा, श्री छाबड़ा जी, श्री मदन सतीज़ा, श्री ओ.पी शर्मा, श्री सहगल, श्री सतपाल नासा, श्री नरेश गुरजा, श्रीमती पूजा खेत्रपाल, श्रीमती पुष्पा नासा, श्रीमती रचना बजाज, श्रीमती सुरेश सीकरी, श्रीमती शील सीकरी, श्रीमती पूनम, श्रीमती गीता, आदि उपस्थित रही ।
इस्कॉन मंदिर सेक्टर 45 और इस्कॉन मंदिर बादशाहपुर में न केवल बोध राज सीकरी का गर्मजोशी के साथ पुष्प माला से और अंगवस्त्र से अभिनंदन हुआ बल्कि दोनों स्थानों पर, जहाँ हजारों की संख्या में साधक उपस्थित थे, वहाँ लड्डू गोपाल प्यारे कृष्ण का अभिषेक पंचामृत सीकरी जी से करवाया और महा प्रसाद भी प्राप्त किया। इसका श्रेय श्रीमती ज्योति वर्मा, प्रवीण वर्मा और महिंदर यादव जी को जाता है ।
अंतिम पड़ाव था श्री शिव मंदिर गली नंबर पाँच कृष्ण कॉलोनी गुरुग्राम पर हुआ, जहां पर मंदिर की भव्यता और दिव्यता देखने लायक़ थी। वहाँ सीकरी जी ने कृष्ण के अलग-अलग स्वरूप की चर्चा की कि कैसे कृष्ण एक कूटनीतिकार, एक राजा के रुप में सफल हुए। उनके बचपन की गाथा, कंस से युद्ध आदि विषय पर प्रकाश डाला। सर्व श्री धर्मेंद्र बजाज, ज्योत्सना बजाज, रमेश कामरा, विनोद गाबा, कृष्ण थरेजा, सचिन वर्मा, अमित बिन्दल, ओ.पी कालरा, द्वारिका नाथ मक्कड़, श्रीमती सुंदरी कालरा, किरण कामरा, श्रीमती पिपलानी, शशि बजाज ने सीकरी जी का बड़े प्रेम से स्वागत किया।
पंजाबी बिरादरी महा संगठन को गर्व है कि उनकी महिला प्रकोष्ठ की मुख्य-मुख्य महिलाएं अलग-अलग मंदिर में जन्माष्टमी आयोजन में सक्रिय रही। जहाँ ज्योत्सना बजाज आर्य समाज सेक्टर सात एक्सटेंशन में और शिव मंदिर कृष्णा कॉलोनी में सक्रिय थी, वही अलका शर्मा वैष्णो देवी मंदिर गड़ी हरसरू में कार्यरत थी। श्री श्याम मंदिर में पुष्पा नासा ने और रचना बजाज ने हाज़िरी भरी। इसी प्रकार रचना बजाज ने अगले दिन इस्कॉन मंदिर बादशाहपुर में जगन्नाथ पूरी स्टाल पर सेवा दी। इसी प्रकार शशि बजाज और सुंदरी कालरा शिव मंदिर में सक्रिय रही। ज्योति वर्मा ने पूरा दिन अपने जीवन साथी के साथ इस्कॉन मंदिर सेक्टर 45 में सेवा की।
जैसा कि सर्वविदित है, इस बार अलग-अलग मंदिरों ने छः और सात सितंबर को जन्माष्टमी का महान पर्व मनाया। लोगों में समाजसेवी बोध राज सीकरी की चाहत बढ़ रही है जिसके फलस्वरूप पाँच मंदिरों ने उन्हें सादर आमंत्रित किया और अलग-अलग मंदिर में उन्होंने अलग-अलग आध्यात्मिक संदेश दिया। उनके कथानुसार जन्माष्टमी का पर्व हर्षोल्लास का पर्व है और हम संगीतमय तरीक़े से मनाते भी हैं परंतु जो उपहार योगी राज कृष्ण हमें दे गये हैं उस उपहार को हमें अपने जीवन में अपनाना चाहिए और उतारना चाहिए। वह विलक्षण उपहार है “ गीता “।
रविवार का दिन, एकादशी का दिन, कुरुक्षेत्र की पावन धरा, महाभारत की युद्ध स्थली और मात्र 45 मिनट में सात सौ श्लोक का ग्रंथ जिससे करण अर्जुन का विषाद दूर हुआ और इस ग्रंथ में मैनेजमेंट है और हर समस्या का निवारण भी है । बाहरी जगत से आंतरिक जगत की ओर ले जाने का ग्रंथ, भौतिक वाद से प्राकृतिक वाद की ओर और अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने का ग्रंथ है गीता। युवा आधुनिकीकरण की ओर जाएं यह अच्छी बात है परंतु पाश्चात्य शैली को अपनाना ग़लत राह है। युवा को संस्कारवान होना है तो गीता एकमात्र जड़ी बूटी है। संतों ने गीता की अलग-अलग व्याख्या करके उसे समझने के लिए और भी आसान कर दिया है।
अत: हमें वास्तविक जन्माष्टमी मनाने का लाभ तभी होगा यदि हम गीता को जीवन में उतार कर गीतामय हो जाएं ।
सीकरी जी के स्वाध्याय की सभी ने भूरी-भूरी प्रशंसा की।