“राम” एक मर्यादा पुरुषोत्तम राम, एक राम जो सब में रमा है। ये थे विचार बोधराज सीकरी के।
भगवान राम ने विश्व को एकता व समरसता का संदेश दिया : बोधराज सीकरी
गुरुग्राम। कल दिन में गढ़ी हरसरू स्थित माँ वैष्णो दरबार जिसकी संचालिका पूनम माता जी हैं और उनका सहयोग डॉ. अलका शर्मा उनकी पुत्री करती हैं। उस दरबार में जाकर बोधराज सीकरी ने अपने बारह साथियों के साथ नतमस्तक हो नवरात्रों का आशीर्वाद लिया। शाम को पांच रामलीला में निरन्तर जाकर अलग-अलग विषय पर वक्तव्य दिया। सर्वप्रथम बोधराज सीकरी ने अपनी जन्मभूमि और अपनी कर्मभूमि जैकमपुरा गुरुग्राम से कल का शुभारंभ किया। वहां पर आयोजकों में जिसमें श्री रमेश कालरा, श्री कमल सलूजा, श्री कपिल सलूजा और उनके अन्य साथियों ने न केवल भव्यता से बोधराज सीकरी, उनकी टीम श्री ओमप्रकाश कथूरिया चेयरमैन ओम स्वीट्स, श्री धर्मेंद्र बजाज, श्री गजेंद्र गोसाईं, श्री रमेश कामरा, श्री सतपाल नासा, श्री युधिष्ठिर अलमादी, श्री सतपाल नासा, श्रीमती रचना बजाज, श्रीमती पुष्पा नासा ने उनके साथ हर कार्यक्रम में उनका साथ दिया।
जैकमपुरा की रामलीला में बोधराज सीकरी ने अपनी हनुमान चालीसा पाठ की जो मुहिम चल रही है, उसके बारे में संक्षेप में वर्णन किया। तदोपरांत अपने पुराने अंदाज में जब वो 15 साल के थे और जब रामलीला में राम का पात्र करते थे। उस समय के हनुमान जी से संबंधित लक्ष्मण मूर्छा के दृश्य को अपनी गायकी के अंदाज से प्रस्तुत किया।
उसके उपरांत अर्जुन नगर आदर्श रामलीला में सम्मिलित होकर वहां जिस भव्यता और दिव्यता से श्री गंगाधर खत्री, यशपाल ग्रोवर और उनके साथियों ने बोधराज सीकरी और उनके सभी साथियों का जिसमें श्री ओमप्रकाश कथूरिया, श्री धर्मेन्द्र बजाज और श्री गजेंद्र गोसाई विशेष थे, उसके साथ डॉ परमेश्वर अरोड़ा जाने माने योगाचार्य और आयुर्वेदाचार्य भी वहां पर उपस्थित हुए और आयोजकों ने बड़े प्रेम से उनका मान और सत्कार किया। वहां पर बोधराज सीकरी ने अपने वक्तव्य में सिद्ध किया कि विश्व के सबसे बड़े पर्यावरणविद मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम जी थे। जिन्होंने अपनी युवा अवस्था के 14 वर्ष वनों को दिये ताकि वहां का पर्यावरण का संतुलन बना रहे। उन्होंने अपने जितने भी युद्ध हुए चाहे हो खर दूषण का युद्ध हो, चाहे रावण का युद्ध हो, चक्रवर्ती सम्राट होने के बावजूद किसी राजा को नहीं बुलाया बल्कि वानरों को और रीछ जाति को इस प्रकार के लोगों को एकत्र कर एक सद्भावना का माहौल पैदा किया था और वहां पर बोधराज सीकरी ने युवा को विशेषकर पर्यावरण के प्रति जागरूक रहने के लिए और प्रकृति मां के प्रति सोचने के लिए काफी बल दिया। तदोपरांत अर्जुन नगर की दूसरी रामलीला में सम्मिलित हो, उन्होंने इसी विषय को पुनः लिया और बच्चों को बताया कि हमारे जीवन का आधार है प्राण ऊर्जा। प्राण ऊर्जा का आधार है पेड़ और पौधे।
पेड़ और पौधों का आधार है प्रकृति। प्रकृति का आधार है ईश्वर और ईश्वर का आधार है परब्रह्म। अतः इन सबमें संतुलन रखने के लिए हर युवा, हर बड़े का कर्तव्य है कि पर्यावरण के प्रति और धरती माता के प्रति सोचें। उसके उपरांत भीम नगर श्री सनातन धर्म सभा, कृष्ण मंदिर द्वारा संचालित रामलीला में सम्मिलित हुए। जहाँ वहां के प्रधान श्री पवन पाहुजा, श्रीमती सीमा पाहुजा, श्री किशोरी डुडेजा, श्री भारत भूषण, श्री सुभाष मल्होत्रा और अन्य उनके साथियों ने बड़ी गर्मजोशी के साथ श्री बोधराज सीकरी, श्री ओमप्रकाश कथूरिया, श्री धर्मेंद्र बजाज, श्री गजेंद्र गोसाई, श्री रमेश कामरा, श्री सतपाल नासा, श्रीमती पुष्पा नासा, श्रीमती रचना बजाज व अन्य साथियों व युधिष्ठिर अलमादी का स्वागत किया।
तदोपरांत बोधराज सीकरी से लोगों को संबोधित करने के लिए आग्रह किया। बोधराज सीकरी ने अपने संबोधन में युवा पीढ़ी को बताया कि राम दो हैं। एक मर्यादा पुरूषोत्तम राम, एक राम जो सब में रमा है। ईश्वर के प्रति, अध्यात्म के प्रति हमारा क्या कर्तव्य है, राष्ट्र के प्रति हमारा क्या कर्तव्य है, क्योंकि उस समय जब बोधराज सीकरी पहुंचे चित्रकुट का राम भरत मिलाप का दृश्य चल रहा था। बोधराज सीकरी ने युवाओं को कहा कि देखो राम ने एक आदर्श पिता, एक आदर्श पुत्र, एक आदर्श भाई, एक आदर्श राजा का रूप दिखाया और पूरे विश्व को एकता का, समरसता का संदेश दिया। अतः आप सबका फर्ज बनता है अपने कर्तव्य के प्रति जागरूक रहें और समाज में एक ऐसा नया भारत उत्पन्न करें जिससे विश्व गुरु बनने में हमें सहायता मिले। तत्पश्चात अपने पुराने अंदाज में 55 वर्ष पूर्व जो रामलीला में राम का पात्र बोधराज सीकरी ने किया था उसके कुछ डायलॉग सीता हरण के समय के सुनाकर लोगों के मन को हर लिया। तालियों की गड़गड़ाहट से पूरा प्रांगण गूंज उठा। तदोपरांत भीमनगर में ही एक और पर्दे पर रामलीला जो दिखाई जाती है उसमें सम्मिलित हो, अपने विचार आयोजकों के सामने रखे और एक ही दिन में 5 रामलीला को देखने का और वहां पर अपने वक्तव्य रखने का शुभ अवसर बोधराज सीकरी को मिला।