प्रभु हनुमान जैसा भगत बनना आसान नहीं : बोधराज सीकरी
गुरुग्राम। कल मंगलवार दिनांक 31 अक्टूबर 2023 वहोवा पंचायत ने श्री हनुमान चालीसा पाठ का आयोजन डेरावाल भवन, प्रताप नगर, गुरुग्राम के प्रांगण में किया। जहां पर लगभग 225 साधकों ने एक साथ बैठकर श्री हनुमान जी का गुणगान गाया। इस गुणगान का शुभारंभ पंडित भीमदत्त द्वारा मन्त्रोच्चारण के साथ और उसके बाद संगीत, लय सुर और स्वर के संगम से श्री गजेंद्र गोसाई ने वहां पर समां बांधा। 21 बार पाठ करके बीच-बीच में अति सुंदर संपुट लगाकर लोगों को नचाया और रिझाया और पूरा का पूरा वातावरण हनुमान मय हो गया। तदोपरांत वहोवा पंचायत के प्रधान श्री सी.बी मनचंदा और वरिष्ठ उपप्रधान श्री सुभाष ग्रोवर, एडवोकेट और अन्य पदाधिकारियों ने सभी आये हुए विशेष अतिथियों का फूलों के माध्यम से और स्मृति चिन्ह के माध्यम से अभिनंदन और सम्मान किया। तदोपरांत बोधराज सीकरी ने एक ऐसा विषय लिया कि लोगों का मन गद्गद हो गया।
बोधराज सीकरी ने कहा कि भक्ति इतनी आसान नहीं है। लोग सोचते हैं कि हम कितने 8-9 महीने से हनुमान चालीसा पाठ में सम्मिलित हो रहे हैं या निरन्तर कई महीनों से, कई वर्षों से ईश्वर भक्ति कर रहे हैं तो हमें ईश्वर प्राप्त होगा। लेकिन बोधराज सीकरी ने कहा कि भगत बनना इतना आसान नहीं है। श्री हनुमान जी ने आजीवन नि:स्वार्थ भाव से एक सच्चे समर्पित सेवक के नाते मर्यादा पुरुषोत्तम राम जो उनके इष्ट थे कि सेवा करी और अंत में जाकर उन्हें भगत का दर्जा मिला। क्योंकि हनुमान चालीसा पाठ में कहा गया है कि
“अन्त काल रघुबर पुर जाई, जहाँ जन्म हरि भक्त कहाई”
वो हरि के भगत यानी राम के भगत अंत काल में जब वह अयोध्या पहुंच गए वहां जाकर के भगत कहलाने के लायक हुए। दूसरा विषय लिया बोध राज सीकरी ने कि ब्रह्म को एक परिपक्व आंख ही देख सकती है एक साधारण व्यक्ति नहीं देख सकता। उन्होंने उदाहरण दिया कि सुग्रीव और हनुमान पर्वत पर एक साथ बैठे थे, लेकिन सुग्रीव की परिपक्वता यह थी कि उन्हें मालूम था कि मैं जीव हूं और मैं ब्रह्म को नहीं जा पाऊंगा। इसलिए शिव के अवतार हनुमान जी से आग्रह किया कि जाओ देखो यह राजकुमार कौन है। यह है सुग्रीव जी की परिपक्वता। दूसरी ओर शिव और पार्वती जब जंगल में भ्रमण कर रहे हैं तो मां सती कहती है शिव को कि देखो राम और लक्ष्मण कैसे सीता के वियोग में भटक रहे हैं यह कैसे भगवान हैं यह कैसे ब्रह्म हैं जो अपनी पत्नी के वियोग में भटक रहे हैं और मैं इनकी परीक्षा लूँगी। यद्यपि शिव के पास तीन नेत्र हैं, तीसरा चक्षु ज्ञान चक्षु है वह सब कुछ जानते हैं।
उसके बावजूद भी सती ने उन पर विश्वास नहीं किया और स्वयं जाकर के उनकी परीक्षा ली और सीता के रूप में राम के आगे प्रस्तुत हो गई और भगवान राम की परिपक्वता देखो कि उन्होंने बोला कि है मां आज आप अकेले घूम रही हो मेरे प्रभु शिवजी नहीं आए l इससे सती को काफी शर्मिंदगी महसूस हुई। क्योंकि भगवान शिव के पास तीन नेत्र हैं जो ब्रह्म को देख सकते हैं, लेकिन सती ने उनका कहना नहीं माना। इस प्रकार जीव को यदि ईश्वर से प्रेम है तो वह किसी परिपक्व व्यक्ति के माध्यम से या गुरु के माध्यम से ईश्वर को देख सकता है क्योंकि मां सती ने सोचा कि शिव नहीं देख पाएंगे और उधर सुग्रीव ने सोचा कि हनुमान जो है वह शिव का अवतार हैं और परिपक्व हैं और उनके अंदर गुरु तत्व है और वह देख पाएंगे l यही अंतर है जीव और ब्रह्म में। उसके उपरांत बोध राज सीकरी ने जीतने भी आयोजक थे उनके गले में राम रूपी पटिका डाल करके उनका आभार प्रकट किया, धन्यवाद किया और आरती के पश्चात प्रसाद वितरण कर हनुमान चालीसा पाठ का समापन हुआ।
अब तक 138 स्थानों पर 415,173 “श्री हनुमान चालीसा” के पाठ 29,553 साधक पाठ कर चुके हैं।
कल जामपुर शिव मंदिर में 30 साधकों ने 5-5 बार पाठ किया। रेलवे स्टेशन के समीप 40 युवाओं ने जनता रिहैबिलिटेशन ट्रेनिंग सेंटर में बोधराज सीकरी की अगुवाई में 21-21 बार हनुमान चालीसा का पाठ किया और बोधराज सीकरी को आश्वासन दिया कि हर मंगलवार को नियमित रूप से पाठ को करेंगे।
कल के स्थान को मिलाकर मुहिम के तहत अब 141 स्थानों पर 29,848 साधकों द्वारा 420,888 पाठ हो चुके हैं।
इस अवसर पर धर्मेन्द्र बजाज, रमेश कामरा, अनिल कुमार, राम लाल ग्रोवर, रमेश चुटानी, सुभाष गांधी, बाल किशन खत्री, रवि मनोचा, उमेश ग्रोवर, सुरेंद्र बरेजा, रजिंदर बजाज अश्विनी वर्मा, रणधीर टन्डन, ओमप्रकाश कालरा, द्वारका नाथ कक्कड़, अशोक सीकरी, सतपाल नासा, सी. बी. मनचंदा, सुभाष ग्रोवर, एल. के. सरदाना, राजीव गांधी, मलिक मोहन गांधी, जवाहर खरबंदा, जवाहर ग्रोवर, देस राज खुराना, उमेश सरदाना, अशोक गेरा, किशोरी डुडेजा, दलीप लूथरा प्रधान आरडब्ल्यूए, सतीश आहूजा आदि शामिल रहे।
महिलाओं में ज्योत्सना बजाज, पुष्पा नासा, रचना बजाज, रीटा रानी, सीमा कपूर, शशि, सिमरन, सुषमा अरोड़ा, सन्तोष पाहुजा शामिल रहे।