पंजाबी पंजाबियत, इंसानियत व रूहानियत का प्रतिबिम्ब है: बोधराज सीकरी
राष्ट्र के एकीकरण, स़वृद्धि, सुरक्षा और उसके गौरव को बढ़ाने में पंजाबी समाज की सदैव से अग्रणी भूमिका रही है। मुगलों से संघर्ष हो या भारत का स्वतंत्रता संग्राम, खेल का मैदान हो या किसान का खलिहान पंजाबी समुदाय ने हर मोर्च पर खुद को साबित किया है। विदेशियों के अत्याचारों से लेकर भारत -पाक विभाजन की दर्दनाक विभिषिकाओं को भी सबसे ज्यादा पंजाबियों ने सहा है। अपनी कर्मठता, उद्यमता और उदारता के दम पर पंजाबी समाज ने देश और दुनियां में अपनी पहचान गढ़ी है। एक से बढ़कर एक सिनेमा और सीरियल इसी बिरादरी की देन हैं। लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि लंबे समय तक देश और हरियाणा में शासन करने वाली कांग्रेस ने इस पुरुषार्थ और देशभक्ति के बदले पंजाबी समुदाय को सिर्फ उपेक्षा का तोहफा दिया है।
एक दिन पहले दो बार कांग्रेस के हरियाणा में मुख्यमंत्री रहे मौजूदा नेता प्रतिपक्ष चौधरी भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने परोक्ष रूप से कहा कि अगर कांग्रेस की सरकार हरियाणा में बनती है तो वें ब्राह्मण को उप-मुख्यमंत्री बनाएँगे, दुसरे दिन प्रदेश अध्यक्ष उसका खंडन करते है , तीसरे दिन उनके पुत्र घोषणा करते है कि वह चार जातियों ब्रह्मण, दलित, पिछड़ा वर्ग और सामान्य वर्ग से आने वाले लोगों को उप-मुख्यमंत्री बनाएंगे। हरियाणा में पंजाबी समाज जनसंख्या के लिहाज से न केवल तीसरा सबसे बड़ा वर्ग है बल्कि प्रदेश की अर्थव्यवस्था में भी असरदार भूमिका निभाता है।
कपिल देव का विश्व कप हो या नीरज चोपड़ा का ओलंपिक में गोल्ड मेडल,हरियाणा का गौरव बढ़ाने में भी पंजाबियों ने कोई कसर नहीं छोड़ी है। बावजूद इसके कांग्रेस ने इस समुदाय की उपेक्षा कर उसका अपमान ही किया है। देश हो या हरियाणा पंजाबी समाज ने कभी ऐसी ओच्छी मानसिकता का परिचय नहीं दिया। हुड्डा स्वयं जाट समुदाय से आते हैं और अन्य चार बिरादरियों को महत्व देने की बात करते हैं सिवाय पंजाबियों के।
यह उनकी पंजाबी समाज विरोधी कांग्रेस परिपाटी का हिस्सा है इसमें कोई नई बात भी नहीं है। जबकि दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी ने श्री मनोहर लाल को मुख्यमंत्री बनाकर इस समुदाय की भावनाओं को तो आदर दिया ही है साथ ही अन्य वर्गों को भी सम्मान आदर देकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कथनी “सबका साथ सबका विकास” को साकार किया है। यही बात दोनों मुख्य राजनीतिक दलों के बीच बड़ा अंतर समझाती है।
मैं एक पंजाबी बिरादरी का हिस्सा होने पर गर्व के साथ कह सकता हूं कि हम जीवन में अनेक उतार चढ़ाव से गुज़रे हैं। हम एक स्वाभिमानी क़ौम हैं लड़कर गिरे हैं, गिरकर फिर उठे हैं। पंजाबी बिरादरी ने खुद का भी निर्माण किया है और राष्ट्र का भी हम किसी कांग्रेस की अपेक्षा या उपेक्षा के मोहताज नहीं हैं। रास्ता बनाना भी हमें आता है और उस पर चलना भी। सोचना उनको है जिन्होंने दशकों तक देश की राजनीति पर इसी क़ौमी बटबारे के सहारे सत्ता पर कुंडली मारे रखी है। पर अब रुत बदल गई है वो भी बदल जाएं तो बेहतर है।