बोधराज सीकरी ने उठाया बेटियों और बेटों को संस्कारवान बनाने का बीड़ा, “द केरला” स्टोरी मूवी दिखाकर छेड़ी जागरूकता की नई मुहिम ।
बेटियों व युवा पीढ़ी को अपनी सनातन संस्कृति व संस्कारों से जोड़ना हमारा उद्देश्य : बोधराज सीकरी
फ़िल्म के मार्मिक दृश्य आज की कड़वी सच्चाई : बोधराज सीकरी
गुरुग्राम। गत 27 मई, शनिवार को गुरुग्राम स्थित आईनॉक्स गुड़गांव ड्रीम्ज़ थिएटर में बोधराज सीकरी द्वारा 650 लोगों को ‘द केरला स्टोरी’ फ़िल्म दिखाने का विशेष प्रबंध किया गया। आपको बता दें कि फ़िल्म देखने के लिए पहले एक पूरा हॉल बुक करवाया गया था। फ़िल्म को लेकर बेटियों और युवा वर्ग में काफी उत्साह को देखते हुए 650 लोगों को यह मूवी दिखाने की व्यवस्था चार किश्तों में की गई। शनिवार को लगभग 350 लोगों को और सोमवार को लगभग 300 लोगों को यानी कुल 650 लोगों को यह फ़िल्म दिखाई गई। यह बात बोधराज सीकरी ने पत्रकार वार्ता के दौरान बताई।
बोधराज सीकरी ने कहा कि मूवी को देखने के लिए लोगों में भारी उत्साह था, जिसे देखते हुए दो ऑडिटोरियम दो दिन के लिए अलग-अलग बुक किये गए। अत्यधिक संख्या में लोगों ने यह फ़िल्म देखने की रुचि दिखाई इसलिए सोमवार को भी बुकिंग की गई है।
बोधराज सीकरी ने कहा कि अगर इसी तरह लोगों का उत्साह और सकारात्मक प्रतिक्रिया मिलती रही तो इस मुहिम को एक कदम और आगे बढ़ाया जाएगा।
धर्म परिवर्तन पर बनी इस फ़िल्म पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए बोधराज सीकरी ने कहा कि धर्मांतरण के कारण देश की बेटियों के साथ कई अत्याचार हुए हैं और उन्हें अपनी जान तक गंवानी पड़ी है। हैवानियत की हदें पार हो रही हैं। सीकरी ने कहा कि यह फ़िल्म हर वर्ग खासकर हिन्दू बेटियों को जरूर देखनी चाहिए। इस फ़िल्म का उद्देश्य बेटियों को जागरूक करना है। समाज के प्रति उन्हें अपनी जिम्मेदारी का एहसास कराना है। माता-पिता का भी फर्ज बनता है कि वें बेटियों और बेटों को भी सही मार्गदर्शन दें। उन्हें अपनी सँस्कृति और परम्पराओं से जोड़ें। अपने ग्रंथों से जोड़ें।
बोधराज सीकरी ने बताया कि ‘पिछले वर्ष हमने “द कश्मीर फाइल्स” फ़िल्म दिखाई थी। हमारी हिन्दू बेटियों-बहनों के साथ बहुत अन्याय हो रहा है। द केरला स्टोरी बेटियों की दर्दनाक दास्तां को बयां करती है। जिस तरह से बेटियों को गुमराह करके उनका धर्मान्तरण किया जाता है और फिर उन्हें आंतकवादी गतिविधियों में शामिल होने के लिए मजबूर किया जाता है, वह निंदनीय है, दंडनीय है। हमें अपनी बेटियों और बच्चों को हमारी संस्कृति, हमारी सभ्यता और संस्कारों से जोड़कर रखने के निरंतर प्रयास करने होंगे और यह फ़िल्म दिखाने का भी हमारा यही उद्देश्य है।’
इस मुहिम में धर्मेंद्र बजाज, राज कुमार कथूरिया, अनिल कुमार, ज्योत्सना बजाज, रमेश कामरा, ओ.पी कालरा ने कॉर्डिनेट कर अपने स्तर पर बखूबी सहयोग किया।
आपको बता दें कि युवा पीढ़ी को संस्कारवान बनाने के लिए बोधराज सीकरी ने हनुमान चालीसा पाठ की मुहिम भी शुरू की है। जिसके तहत अब तक 1 लाख 86 हजार से अधिक पाठ हो चुके हैं।
देशभर में द केरला स्टोरी इन दिनों सुर्खियों में है। ऐसे में इस संवेदनशील व मार्मिक विषय पर जागरूकता की पहल करते हुए समाजसेवी बोधराज सीकरी द्वारा बेटियों को यह मूवी दिखाने की कोशिश निश्चित ही सराहनीय है।