हमारे ग्रन्थों में जीवन का सार निहित है : बोधराज सीकरी
गुरुग्राम। कल दिनांक 30 अप्रैल मंगलवार को माता चिंतपूर्णी मंदिर के प्रांगण में बोधराज सीकरी की अगुवाई में हनुमान चालीसा पाठ का आयोजन भक्तिभाव से किया गया। आयोजन में प्रधान सतीश वर्मा, भारत बंधु एवं मैनेजमेंट की पूरी महिला और पुरुष की टीम सेवा भाव से जुड़ी थी। जिसमें 100 से अधिक लोगों ने भाग लिया। मंदिर के पंडित ने मंत्र उच्चारण कर पूजा करवायी और पंडित भीमदत्त ने शंखनाद किया।
बोध राज सीकरी के हाथों से पवित्र ज्योत प्रज्वलित करवायी गई। गजेंद्र गोसाई ने मंगलाचरण से प्रारंभ कर हनुमान चालीसा पाठ का 21 बार पठन किया। बीच-बीच में अति रोचक संपुट लगाये और अंतिम पाठ नृत्य के माध्यम से किया। दिन-ब-दिन गोसाई जी का जोश बढ़ता जा रहा है। हनुमान जी की कृपा उन पर और बढ़ रही है।
चिंतपूर्णी माँ चिंता दूर करती है। क्योंकि इस बार पाठ चिंतपूर्णी मंदिर में था, इसलिए बोध राज सीकरी ने अपने वक्तव्य में शास्त्र के आधार पर माँ चिंतपूर्णी के इतिहास का रहस्य बताया। कैसे राजा दक्ष ने यज्ञ का आयोजन किया और उस यज्ञ में अपनी पुत्री सती को आमंत्रित नहीं किया। जिसके फलस्वरूप कैसे सती ने अपने आप को यज्ञ के हवाले करके अपने आप को भस्म किया। कैसे विष्णु भगवान ने सती के अलग-अलग 51 स्थानों पर अंग स्थापित किए। ये सारे 51 स्थान शक्तिपीठ बन गये। माँ चिंतपूर्णी का शक्तिपीठ मंदिर ऊना हिमाचल में स्थापित है।
अपने वक्तव्य में बोध राज सीकरी ने बताया कि कैसे हनुमान जी का वैष्णोदेवी माँ से, दुर्गा से पुत्र का संबंध स्थापित किया और कैसे निरंतर 9 महीने तक भैरो से युद्ध किया जब माँ दुर्गा 9 महीने तक गर्भ जून में तपस्या करती रही। कैसे दुर्गा माँ ने भैरो को विध्वंस किया और कैसे भैरो को मोक्ष दिया और वरदान भी दिया की जब कोई वैष्णो देवी माँ के दर्शन करने आयेगा बिना भैरो के दर्शन किए नहीं जाएगा। साथ ही उन्होंने अपने वक्तव्य में इतिहास के रहस्य ग्रंथों के माध्यम से उजागर किए।
एक अद्भुत कथा बोध राज सीकरी ने संगत को सुनाई की जब मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम वनवास से वापस आये तो भरत ने एक शोभा यात्रा का इंतज़ाम किया जिसमें अयोध्या के सभी नागरिकों ने भाग लिया। प्रभु राम ने भरत से पूछा कि हमारे समय के सभी लोग इस शोभा यात्रा में आये हैं, सभी बुजुर्ग आये हैं, सभी नव विवाहित जोड़े भी आये हैं, जिनका विवाह हमारे समय में हुआ परंतु अचंभा इस बात का है कि उन जोड़ों के संतान नहीं आयी जिनका विवाह हमारे समय में हुआ या उन जोड़ों की संतान जिनका विवाह बाद में हुआ होगा। क्या वो युवा पीढ़ी मुझसे नाराज़ है या मेरे आने से खुश नहीं है। भरत के उत्तर को सुनकर भगवान राम की अश्रुधारा बह गई। उन्होंने कहा कि जैसे आप गृहस्थ होकर भी वनवास में ब्रह्मचर्य का पालन कर रहे थे, ऐसे ही सभी ने अयोध्या में आपकी तरह ब्रह्मचर्य का पालन किया। जिसके फलस्वरूप 14 वर्षों में कोई नई संतान नहीं हुई। यह है राम राज्य की और अयोध्या की विशेषता।
पिछले सप्ताह तक 270 स्थानों पर 44,498 साधकों द्वारा 618,361 हनुमान चालीसा पाठ हो चुके हैं।
कल के पाठ में लगभग 100 भक्तों ने भाग लिया और सभी ने 21-21 बार पाठ किया। श्रीमती ज्योत्सना बजाज के ऑनलाइन हनुमान चालीसा के पाठ के आयोजन में 17 लोगों ने 11-11 बार पाठ किया। विजय टन्डन और श्री रणधीर टन्डन की फैक्ट्री के 64 कर्मचारियों ने 2-2 बार पाठ किया। जनता रिहैबिलिटेशन सेंटर में 40 विद्यार्थियों ने 21-21 बार पाठ किया। इसके अतिरिक्त जामपुर शिव मंदिर ईस्ट ऑफ कैलाश में 50 साधकों ने 5-5 बार हनुमान चालीसा पाठ किया।
इस प्रकार अब तक 275 स्थानों पर 44,769 साधकों द्वारा 621,866 हनुमान चालीसा पाठ हो चुके हैं।
इस आयोजन में डॉक्टर अलका शर्मा, ज्योतिषाचार्य की गरिमायुक्त उपस्थिति रही जो निरंतर हनुमान चालीसा पाठ में आती है। पुरुष वर्ग में श्री सुरेंद्र खुल्लर, प्रधान, केंद्रीय श्री सनातन धर्म सभा, श्री राम लाल ग्रोवर, अश्वनी वर्मा सी.ए, धर्मेन्द्र बजाज, ओ.पी कालरा, रमेश कामरा, राजेन्द्र बजाज, युधिष्ठिर अलमादी, केसर ग्रोवर, द्वारका नाथ मक्कड़, किशोरी लाल डुडेजा, राधे श्याम, सुखदेव, नरेंद्र कथूरिया ने अपनी हाजिरी भरी।
महिला वर्ग में ज्योत्सना बजाज, रचना बजाज, सिमरन बजाज, पुष्पा नासा, सीमा कपूर, अंजू पाहुजा उपस्थित रही।